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रक्षाबंधन Festival: प्रेम और स्नेह का एक सुन्दर त्यौहार

रक्षाबंधन Festival: प्रेम और स्नेह का एक सुन्दर त्यौहार

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू और जैन त्योहार है। यह हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस साल यह 9 अगस्त 2025 को मनाया जायेगा। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम, कर्तव्य और रक्षा के वचन का प्रतीक है।

 

 

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व केवल रक्त संबंध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसी भी ऐसे रिश्ते को दर्शाता है जहाँ एक व्यक्ति दूसरे की सुरक्षा और कल्याण का वादा करता है। यह भाई-बहन के बीच स्नेह, विश्वास और भावनात्मक बंधन को मजबूत करता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सफलता और खुशहाली की कामना करती है, वहीं भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देता है।

यह त्योहार पारिवारिक एकजुटता को बढ़ावा देता है, जहाँ पूरा परिवार एक साथ मिलकर इस पवित्र रिश्ते का जश्न मनाता है। यह त्याग और पवित्रता का संदेश भी देता है।

 

रक्षाबंधन मनाने का तरीका

रक्षाबंधन के दिन विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है:

  • सुबह की तैयारी: बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए वस्त्र पहनती हैं। वे पूजा की थाली तैयार करती हैं, जिसमें राखी (रंग-बिरंगे धागे या कलावा), कुमकुम (रोली), चावल (अक्षत), मिठाई और दीपक या अगरबत्ती रखी जाती है।
  • तिलक और राखी बांधना: बहन अपने भाई के माथे पर तिलक (कुमकुम और चावल) लगाती है। फिर वह भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है। राखी बांधते समय बहनें अक्सर कुछ शुभ मंत्रों का उच्चारण करती हैं या भाई के कल्याण की प्रार्थना करती हैं।
  • मिठाई खिलाना: राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई का मुंह मीठा कराती है। यह उनके रिश्ते में मिठास और खुशहाली का प्रतीक है।
  • उपहार और आशीर्वाद: राखी बंधवाने के बाद, भाई अपनी बहन को उपहार (पैसे, कपड़े, गहने आदि) देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है। यह भाई के प्रेम और कर्तव्य का प्रतीक है।
  • पारिवारिक मिलन: इस दिन परिवार के सदस्य एक साथ इकट्ठा होते हैं, भोजन करते हैं और खुशियाँ बांटते हैं। जिन भाइयों की बहनें दूर होती हैं, वे उन्हें राखी भेजने का प्रबंध करते हैं, और बहनें भी अपने भाइयों को राखी डाक या कूरियर से भेजती हैं।
  • अन्य बंधन: कुछ स्थानों पर, गुरु अपने शिष्य को, और शिष्य अपने गुरु को रक्षासूत्र बांधते हैं। कुछ लोग प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए वृक्षों को भी राखी बांधते हैं।

 

ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँ

रक्षाबंधन से जुड़ी कई प्राचीन कथाएँ और ऐतिहासिक घटनाएँ इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं:

  • इंद्र और इंद्राणी (भविष्य पुराण): यह सबसे प्रचलित कथा है। एक बार देवताओं और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने गुरु बृहस्पति के कहने पर एक रक्षासूत्र तैयार किया। श्रावण पूर्णिमा के दिन उन्होंने इसे इंद्र की कलाई पर बांधा, जिससे इंद्र विजयी हुए। यह कहानी दर्शाती है कि रक्षासूत्र न केवल भाई-बहन के बीच, बल्कि किसी भी प्रकार की सुरक्षा और विजय के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  • राजा बलि और देवी लक्ष्मी (भागवत पुराण/विष्णु पुराण): एक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया, तो देवी लक्ष्मी को अपने पति की अनुपस्थिति खली। उन्होंने राजा बलि को अपना भाई मानकर राखी बांधी। इससे प्रसन्न होकर बलि ने भगवान विष्णु को बैकुंठ वापस जाने की अनुमति दी।
  • भगवान कृष्ण और द्रौपदी (महाभारत): महाभारत में जब भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस कार्य से प्रभावित होकर कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन माना और उनकी रक्षा का वचन दिया, जिसे उन्होंने चीरहरण के समय पूरा किया।
  • रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं (इतिहास): 16वीं शताब्दी में, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण से अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने राखी का सम्मान करते हुए रानी की सहायता करने का प्रयास किया, हालांकि वह समय पर नहीं पहुँच पाए थे। यह घटना धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे का एक बड़ा उदाहरण मानी जाती है।

 

रक्षाबंधन का त्यौहार समय के साथ काफी विकसित हुआ है, और अब यह सिर्फ पारंपरिक भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं रहा। यहाँ कुछ आधुनिक तथ्य दिए गए हैं:

 

 

रक्षाबंधन के आधुनिक आयाम

  • बदलते रिश्ते: अब यह केवल जैविक भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है। दोस्त, चचेरे भाई-बहन, और यहां तक कि गैर-पारिवारिक सदस्य भी अब राखी बांधते हैं, जो आपसी सुरक्षा और स्नेह के बंधन का प्रतीक है। कुछ स्थानों पर बहनें अपनी भाभी को भी ‘लूम्बा राखी’ बांधती हैं, जो पूरे परिवार की सुरक्षा का प्रतीक है।
  • डिजिटल उत्सव: भौगोलिक दूरियां अब बाधा नहीं रहीं। ई-राखी, ऑनलाइन उपहार वितरण सेवाएँ, और वीडियो कॉल के माध्यम से दूर बैठे भाई-बहन भी इस त्योहार को मना पाते हैं।
  • आधुनिक राखी डिज़ाइन: साधारण धागों से बनी राखियों के बजाय, अब बाज़ार में डिजाइनर राखियां, सोने, चांदी या हीरे जड़ी राखियां, और यहां तक कि थीम-आधारित राखियां भी उपलब्ध हैं। व्यक्तिगत स्पर्श के लिए अनुकूलित (customized) राखियां भी बहुत लोकप्रिय हैं।
  • लिंग-तटस्थ उत्सव: आधुनिक समय में, यह त्योहार केवल भाई-बहन के बीच सुरक्षा के वादे तक सीमित नहीं है, जहां भाई बहन की रक्षा करता है। बहनें भी अब अपने भाइयों को उपहार देती हैं और दोनों एक-दूसरे की भलाई और समर्थन का संकल्प लेते हैं। कुछ जगहों पर बहनें आपस में भी राखी बांधती हैं।
  • सामाजिक एकता का प्रतीक: इतिहास में रवींद्रनाथ टैगोर जैसे व्यक्तित्वों ने रक्षाबंधन का उपयोग हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए किया था। आज भी यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है।
  • आधुनिक उपहार: नकदी या पारंपरिक उपहारों के बजाय, अब भाई-बहन एक-दूसरे को गैजेट्स, फैशन एक्सेसरीज, अनुभव-आधारित उपहार (जैसे यात्रा) और व्यक्तिगत उपहार देते हैं।
  • नारी सशक्तिकरण पर जोर: आधुनिक संदर्भ में, रक्षाबंधन को महिला सशक्तिकरण के अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है, जहां बहनें अपने भाइयों से शारीरिक सुरक्षा से परे, अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का समर्थन करने की उम्मीद करती हैं।

 

समय का बदलाव

रक्षाबंधन का त्यौहार आज भी अपनी मूल भावना को बरकरार रखता है, लेकिन समय के साथ इसने कई नए रंग ले लिए हैं:

  • ऑनलाइन शॉपिंग का बोलबाला: राखियों से लेकर उपहारों तक, अब अधिकांश खरीदारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होती है। यह न केवल सुविधा प्रदान करता है, बल्कि देश-विदेश में रहने वाले भाई-बहनों के लिए उपहार भेजना भी आसान बना देता है।
  • सेलिब्रिटी और ब्रांड एंडोर्समेंट: कई सेलिब्रिटीज और ब्रांड्स अब रक्षाबंधन से जुड़े अभियानों में शामिल होते हैं, जिससे त्योहार का आधुनिक और फैशनेबल पहलू और उभर कर आता है। यह युवा पीढ़ी को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।
  • थीम-आधारित और कस्टमाइज्ड राखियां: पारंपरिक राखियों के अलावा, अब आपको ‘सुपरहीरो’ थीम वाली, पर्यावरण-अनुकूल, या व्यक्तिगत नामों और तस्वीरों वाली कस्टमाइज्ड राखियां भी मिल जाएंगी। यह व्यक्तिगत संबंध को और गहरा करती हैं।
  • कार्यस्थल पर उत्सव: कई कॉर्पोरेट ऑफिस और संगठन अब रक्षाबंधन को अपने कर्मचारियों के बीच सौहार्द और टीम भावना को बढ़ावा देने के लिए मनाते हैं, जहाँ सहकर्मी आपस में राखी बांधते हैं।
  • सामाजिक कारण से जुड़ाव: कुछ लोग अब राखी को सामाजिक संदेश देने या किसी नेक काम के लिए धन जुटाने का माध्यम भी बनाते हैं। जैसे, कुछ राखियों की बिक्री का एक हिस्सा दान में जाता है या किसी विशेष कारण का समर्थन करता है।
  • मैं भी राखी बांध सकती हूँ” का विचार: आधुनिक सोच के साथ, कई महिलाएं अब न केवल अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, बल्कि अपनी बहनों, दोस्तों या किसी ऐसे व्यक्ति को भी बांधती हैं जिनके साथ वे सुरक्षा और समर्थन का बंधन साझा करती हैं।

 

यह दर्शाता है कि कैसे रक्षाबंधन का पर्व आज के दौर में और भी समावेशी और बहुआयामी हो गया है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर महत्व रखता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो प्रेम, सम्मान, कर्तव्य और सुरक्षा के शाश्वत मूल्यों को दर्शाता है। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि भावनाओं का एक अटूट बंधन है।

आप सभी को अग्रिम रक्षाबंधन के पावन त्यौहार की बहुत बहुत बधाई

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