तीज का पर्व (Teej festival): स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना
तीज का पर्व या त्यौहार भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह विशेषकर सावन और भादों के महीनों में मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, और मध्य प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वर्ष 2025 में तीज का पर्व 27 जुलाई 2025, रविवार को मनाया जायेगा।
तीज का त्यौहार क्यों मनाते है?
1. सौभाग्य की कामना के लिए
तीज का पर्व विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
2. पार्वती और शिव की कथा
तीज मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ (mythological stories) हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्म लिए थे। हर जन्म में उन्होंने कठोर तपस्या की। उनके 108वें जन्म में, भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को तीज के रूप में मनाया जाता है। यह दिन प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। एक और मान्यता यह है कि इस दिन माता पार्वती अपने मायके आई थीं, इसलिए महिलाएं इस त्योहार को खुशी और उत्साह के साथ मनाती हैं।
3. स्त्री सशक्तिकरण और भावनात्मक जुड़ाव
यह त्यौहार महिलाओं को एक साथ आने, पारंपरिक गीत गाने, नृत्य करने और अपने मन की बात साझा करने का अवसर देता है। यह एक तरह से स्त्रियों के लिए सामाजिक और मानसिक राहत का माध्यम है।
तीज पर क्या–क्या किया जाता है?
तीज का पर्व बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार (sixteen adornments) करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और झूला झूलती हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान (dishes) बनाए जाते हैं, जैसे कि घेवर, फेनी और दाल बाटी। महिलाएं मिलकर गीत गाती हैं, नाचती हैं और एक-दूसरे को बधाई देती हैं। तीज का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- उपवास (Fasting): तीज में महिलाएं उपवास रखती हैं। हरियाली तीज और कजरी तीज में फलाहार (fruits and light food) का उपवास रखा जाता है, जबकि हरतालिका तीज में निर्जला व्रत रखा जाता है।
- श्रृंगार (Adornment): महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें हरे रंग के कपड़े, चूड़ियाँ, मेहंदी, और आभूषण शामिल होते हैं। हरा रंग हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है।
- पूजा (Worship): भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं मंदिर जाती हैं और विशेष प्रार्थनाएँ करती हैं। हरतालिका तीज में रात भर जागरण (all-night vigil) किया जाता है और भजन गाए जाते हैं।
- झूला (Swing): तीज में झूला झूलने का भी बहुत महत्व है। गाँव और शहरों में पेड़ों पर झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं सहेलियों के साथ झूला झूलती हैं।
- गीत और नृत्य (Songs and Dance): तीज के अवसर पर पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और नृत्य किए जाते हैं। महिलाएं ढोल-नगाड़ों के साथ नाचती हैं और खुशियाँ मनाती हैं।
- पकवान (Dishes): तीज में विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि घेवर, गुजिया, और अन्य मिठाईयाँ। इन पकवानों को परिवार और दोस्तों के साथ बांटा जाता है।
तीज के प्रकार
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हरियाली तीज:
हरियाली तीज सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, हरी चूड़ियां पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं। वे माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन झूला झूलने का भी विशेष महत्व है।
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कजरी तीज:
कजरी तीज भाद्रपद (Bhadrapada) महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इसे बड़ी तीज, बूढी तीज या सातूड़ी तीज (Satoodi Teej) भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं नीम या नीमड़ी माता (Neemdi Mata) की पूजा करती हैं और उन्हें सातू (sattu) चढ़ाती हैं। कजरी तीज का व्रत संतान (children) की सुख-समृद्धि (prosperity) के लिए रखा जाता है।
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हरतालिका तीज:
हरतालिका तीज भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को विशेष रूप से उत्तर भारत और नेपाल में मनाई जाती है। यह तीज सबसे कठिन मानी जाती है क्योंकि इस व्रत में महिलाएं बिना पानी पिए पूरा दिन उपवास (fast) रखती हैं। हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है। ।
तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह नारी शक्ति, सांस्कृतिक समृद्धि, और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक भी है। यह पर्व प्रेम, त्याग, भक्ति और नारी शक्ति की सुंदर अभिव्यक्ति है।
राजस्थान में तीज का त्यौहार:-
राजस्थान में तीज का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ इसे ‘तीज माता की सवारी’ के रूप में भी जाना जाता है। जयपुर में तीज की सवारी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें तीज माता की मूर्ति को एक सजी हुई पालकी में शहर भर में घुमाया जाता है। इस दौरान पारंपरिक राजस्थानी नृत्य और संगीत का आयोजन होता है, जो इस त्योहार को और भी खास बना देता है। राजस्थान के सन्दर्भ में तीज का त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व माना जाता है। यह न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि राजस्थानी लोक परंपरा, नारी गौरव, और सामाजिक उत्सव का जीवंत प्रतीक भी है।
राजस्थान में तीज का महत्व
1. राजस्थानी संस्कृति की पहचान
राजस्थान में तीज को महिलाओं के प्रमुख पर्वों में गिना जाता है। यह त्यौहार नारी सौंदर्य, श्रृंगार, और सद्गृहस्थ जीवन की झलक देता है। यहाँ की महिलाएं पारंपरिक घाघरा-चोली, ओढ़नी, और सोने-चांदी के गहनों से सजी-धजी होती हैं।
2. हरियाली तीज – खासकर जयपुर में प्रसिद्ध
जयपुर में हरियाली तीज को बड़े राजकीय स्तर पर मनाया जाता है। इस दिन तीज माता (पार्वती जी) की शाही सवारी निकाली जाती है जिसमें सजे-धजे हाथी, ऊँट, घोड़े, बैंड, और लोक कलाकारों की टोलियाँ शामिल होती हैं। शाही सवारी आम जनता के लिए आकर्षण का केंद्र होती है।
3. महिलाओं का मेल-मिलाप और झूला उत्सव
गांवों और कस्बों में महिलाएं पेड़ों पर झूले डालती हैं, लोकगीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। सावन के इस मौसम में तीज महिलाओं को अपने मायके जाने का अवसर भी देता है।
4. राजस्थान में तीज के आयोजन की विशेषताएँ
- जयपुर:- शाही तीज यात्रा, सजे हुए झांकी, लोक नृत्य
- उदयपुर:- मंदिरों में विशेष पूजन और महिला उत्सव
- बीकानेर/जोधपुर:- पारंपरिक लोक गीतों और झूलों का आयोजन
- गाँवों में मिट्टी की तीज माता की पूजा, पारिवारिक उत्सव
5. राजस्थानी तीज गीत
राजस्थान में महिलाएं तीज के दिन पारंपरिक लोकगीत गाती हैं, जैसे:
“तीज आयी सासू जी, मायड़ रो बुलावो…”
“छोटी सी गागरी ले आयी, पाणी भर भर लाऊं…”
इन गीतों में सावन, प्रेम, ससुराल-मायका के रिश्ते, और शिव-पार्वती की कथा रची-बसी होती है।
6. सिंजारा (Sinjara)
तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाओं को उनकी सास द्वारा कपड़े, गहने और मिठाई भेजी जाती है। यह एक तरह से ससुराल की तरफ से प्यार और सम्मान का प्रतीक होता है। महिलाएँ इस दिन सज-धज कर तैयार होती हैं और अपनी सहेलियों के साथ मिलकर नाचती-गाती हैं।
राजस्थान में तीज केवल धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि राजस्थानी लोकजीवन, नारी परंपरा, और संस्कृति की विरासत का उत्सव है। यह त्योहार महिलाओं को न केवल आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है, बल्कि उन्हें सामाजिक ऊर्जा और खुशी भी प्रदान करता है।
तीज का महत्व (Importance of Teej)
तीज का त्योहार महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।
- प्रेम और समर्पण (Love and Dedication): तीज भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह महिलाओं को अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को मजबूत करने का अवसर देता है।
- समृद्धि और खुशहाली (Prosperity and Happiness): तीज हरियाली और समृद्धि का त्योहार है। यह महिलाओं को अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने की प्रेरणा देता है।
- सामाजिक बंधन (Social Bonding): तीज एक सामाजिक त्योहार है जो महिलाओं को एक साथ लाता है। यह त्योहार महिलाओं को एक दूसरे के साथ जुड़ने, खुशियाँ बांटने, और सामाजिक बंधन को मजबूत करने का अवसर देता है।
नवीनतम तथ्य (Latest Facts)
आजकल, तीज के त्योहार को मनाने के तरीके में भी कुछ बदलाव आए हैं। अब महिलाएं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platform) का उपयोग करके भी तीज मनाती हैं। वे वीडियो कॉल (video call) के माध्यम से अपने परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ती हैं और त्योहार की खुशियाँ साझा करती हैं। कई ऑनलाइन स्टोर (online store) तीज के लिए विशेष श्रृंगार और पकवान उपलब्ध कराते हैं, जिससे महिलाएं आसानी से त्योहार की तैयारी कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त, कई सामाजिक संगठन (social organizations) तीज के अवसर पर महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिनमें स्वास्थ्य जांच (health checkup) और जागरूकता अभियान (awareness campaign) शामिल होते हैं। यह पहल महिलाओं को स्वस्थ और सशक्त (empowered) बनाने में मदद करती है। तीज का त्योहार भारतीय संस्कृति (Indian culture) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार प्रेम, समर्पण, और खुशियों का प्रतीक है। इसे हर साल बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। तो दोस्तों, यह थी तीज के त्योहार की पूरी जानकारी। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। तीज के इस पावन अवसर पर, मेरी ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! हैप्पी तीज!